पुनर्जन और नियति की नई शुरुआत
अध्याय 1: पुनर्जन्म और नियति की नई शुरुआत
चारों ओर अंधकार फैला हुआ था। कोई ध्वनि नहीं, कोई हलचल नहीं—बस एक शून्य। और उस शून्य के भीतर, एक आत्मा भटक रही थी, जैसे किसी खोए हुए यात्री को रास्ता न मिले।
"क्या यह मृत्यु का अनुभव है?" आत्मा ने सोचा।
तभी, एक अजीब-सी ऊर्जा ने उसे अपनी ओर खींचा। अचानक, उसकी स्मृतियाँ लौटने लगीं। पिछला जीवन... विश्वासघात... आग... जलता हुआ महल... और फिर अंधकार।
लेकिन अब कुछ अलग था। जैसे कोई शक्ति उसे पुकार रही थी।
आँखें खुलीं। सामने एक विशाल कमरा था, महंगे पर्दों और नक्काशीदार फर्नीचर से सजा हुआ। वह किसी शाही परिवार के महल का कमरा लग रहा था।
"क्या मैं... जिंदा हूँ?"
वह तेजी से उठा और पास रखे आईने में खुद को देखा। चेहरे पर तेजस्वी नज़र, गहरे लाल बाल, और आँखों में एक अलग ही चमक थी। यह शरीर उसका नहीं था।
"यह कौन है? और मैं यहाँ कैसे आया?"
तभी, एक ठंडी आवाज़ उसके दिमाग में गूंज उठी—
[परिचय: आप अब "डेरियन वाल्मोर" हैं, वाल्मोर साम्राज्य के चौथे राजकुमार।]
उसके अंदर झुरझुरी दौड़ गई। यह आवाज़ कहाँ से आई?
[Supreme System सक्रिय। आपका पुनर्जन्म पूर्ण हुआ।]
"Supreme System? क्या यह किसी तरह का खेल है?"
लेकिन यह कोई सामान्य खेल नहीं था। यह वास्तविक था। उसके सामने एक अदृश्य स्क्रीन उभरी, जिसमें उसका नाम, स्थिति, और कुछ रहस्यमयी अंक दिख रहे थे।
"अवांछित राजकुमार? क्या मतलब है इसका?"
तभी दरवाजा जोर से खुला और एक सख्त दिखने वाला व्यक्ति अंदर आया। उसके चेहरे पर घृणा थी।
"तो, तुम अभी तक मरे नहीं? खैर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। महल में तुम्हारी कोई जरूरत नहीं है, डेरियन।"
डेरियन ने गहरी सांस ली। उसकी स्मृतियाँ अब पूरी तरह वापस आ चुकी थीं। यह व्यक्ति उसका सौतेला भाई था, जो हमेशा उसे खत्म करने की योजना बनाता था।
लेकिन यह नया डेरियन वैसा कमजोर नहीं था जैसा पहले था। अब उसके पास Supreme System था।
"खेल अब शुरू होता है।" उसने मन ही मन सोचा।
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